देहरादून. उत्तराखंड के चार धामों के तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बावजूद राज्य सरकार ने 11 जून को चार धाम यात्रा खोल दी थी. हालांकि इसमें यह शर्त लगाई गई थी कि 30 जून तक सिर्फ़ स्थानीय निवासियों को ही चारों धामों में दर्शन की छूट दी जाएगी. राज्य सरकार ने दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तय कर दी थी और एक दिन में अधिकतम 800 लोगों को जाने की अनुमति दी जानी थी. लेकिन इसकी ज़रूरत ही नहीं पड़ी है. कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लोगों में दर्शन करने का कोई उत्साह नहीं है. एक हफ़्ते में सिर्फ़ 19 लोग ही केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए पहुंचे हैं.
जो आए, निराश लौटे
केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी शंकर लिंग ने न्यूज़ 18 को बताया कि 11 तारीख से अब तक सिर्फ़ 19 लोग ही केदारनाथ दर्शन के लिए आए हैं. जो आए हैं वह भी निराश ही लौटे क्योंकि गर्भगृह में जाने की अनुमति तो है ही नहीं. श्रद्धालु बाहर नंदी की मूर्ति के पास से ही दर्शन कर सकते हैं.
इसके अलावा चूंकि केदारनाथ धाम में कोई दुकान भी नहीं खुली है इसलिए वहां आने वाले श्रद्धालुओं को ज़रूरी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी कहते हैं कि तीर्थ पुरोहित शुरु से कह रहे थे कि यात्रा शुरु न की जाए लेकिन सरकार ने ज़िद करके खोली जिसका कोई फ़ायदा नहीं है.
बदरीनाथ में हालांकि स्थिति थोड़ी बेहतर रही लेकिन सरकार की उम्मीद के मुताबिक तो बिल्कुल नहीं. बदरीनाथ धाम में मंगलवार तक 309 श्रद्धालु पहुंचे थे. चमोली जिला प्रशासन ने 30 जून तक केवल माणा और बामणी गांव के निवासियों को ही मंदिर में जाने की अनुमति दी है.
तीर्थ पुरोहितों का विरोध
बता दें कि चारों धामों के तीर्थ पुरोहित यात्रा खोलने का विरोध कर रहे थे. चार धाम तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी महापंचायत ने बाकायदा बैठक कर सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया था और 30 जून से पहले यात्रा की अनुमति न देने को कहा था. महापंचायत ने कहा था कि यात्रा शुरु करने से कोरोना वायरस धामों तक पहुंच जाएगा.
सरकार ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों की बात सुनी जाएगी और उनकी सहमति के आधार पर ही कोई फ़ैसला लिया जाएगा. इसके बाद तीनों ज़िलों के डीएम ने तीर्थ-पुरोहितों से बात करने की औपाचारिकता की और पूर्व निर्धारित फ़ैसले के अनुरूप चार धाम देवस्थानम बोर्ड ने 11 जून से यात्रा शुरु किए जाने का ऐलान कर दिया था.