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भाजपा विधायकों ने हवा में ‘उड़ा’ दिया अपनी सरकार का ‘फैसला’

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_ सत्ताधारी दल के सिर्फ 13 विधायकों ने ही किया वेतन-भत्तों में कटौती का निर्णय का अक्षरश: पालन

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना वायरस से जंग के लिए तकरीबन तीन महीने पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कैबिनेट ने प्रदेश के सभी मंत्री और विधायकों के वेतन-भत्तों में 30 फीसदी कटौती का फैसला किया था। कोरोना महामारी से जंग के लिए बड़े जोर-शोर से इसका ऐलान किया गया था लेकिन विपक्ष तो छोड़िए सत्ताधारी दल भाजपा के विधायकों ने ही अपनी सरकार के इस फैसले की हवा निकाल दी। कैबिनेट के वेतन भत्तों में कटौती सम्बंधी इस फैसले का भाजपा के कुल 58 (एंग्लो इंडियन विधायक समेत) में से सिर्फ 13 विधायकों ने ही अक्षरश: पालन किया। बाकी ने फैसले का पूर्णतया पालन नहीं किया। वेतन भत्तों में कटौती को लेकर अपनी मनमर्जी से सहमति प्रदान की। और तो और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत तक अपने वेतन प्रतिमाह 57600 रुपए के बजाय मात्र 9000 रुपए कटवा रहे हैं। केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने सोशल मीडिया में इस सम्बंध में पूरे दस्तावेज साझा किए हैं।   

 बीते 8 अप्रैल को कोविड-19 फंड के लिए विधायकों के वेतन-भत्तों में कटौती का निर्णय लिया गया था। कैबिनेट का फ़ैसला पूरी तरह स्पष्ट नहीं था, वेतन के साथ भत्तों में भी कटौती की जाएगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं था। बाद में सरकार ने स्पष्ट किया कि विधानसभा सदस्यों के वेतन, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और सचिव भर्ती के का 30 फीसदी राशि सरकार को देने का निर्णय लिया गया है। यानि सभी को जोड़कर प्रत्येक विधायक की  कटौती की कुल राशि 57600 रुपया प्रतिमाह बैठती है। कैबिनेट के फैसले के बाद भी इसके लिए विधायकों और मंत्रियों की सहमति लिया जाना आवश्यक था। विधानसभा सचिवालय को कई बार विधायकों को इस बारे में रिमाइंडर देने पड़े, तब जाकर अधिकांश विधायकों ने कटौती के लिए अपनी आधी-अधूरी सहमति दी। इधर विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों का कहना था कि सरकार ने इस मामले में विपक्ष की रायमशविरा किए बगैर निर्णय लिया है फिर भी नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश ने सरकार की फैसले के अनुरूप कटौती पर सहमति जता दी। अब सूचना के अधिकार के तहत सामने आई जानकारी से पता चला है कि सत्ता दल के कुल 58 (57 और 1 ऐंग्लो इंडियन) विधायकों से केवल 13 विधानसभा सदस्य ही कैबिनेट के निर्णय के अनुरूप 57600 रुपये प्रतिमाह अपने वेतन भत्तों से कटवा रहे हैं। इनके अलावा 16 विधायक 30000 रुपये, 4 विधायक 12600 रुपये और 13 सिर्फ 9000 रुपये प्रति माह की कटौती करवा रहे हैं। आइटीआई में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा उपाध्यक्ष और मंत्रीगणों की वेतन कटौती की जानकारी नहीं दी गई है। दूसरी ओर, कांग्रेस की विधायक दल की नेता और माननीय नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश अपने वेतन का 75600 रुपये कटवा रही हैं। कांग्रेस के विधायक कैबिनेट के फैसले कका पालन कर पूरे 30 वेतन-भत्तों की कटौती करवा रहे हैं। इस बारे में केदानाथ के विधायक मनोज रावत ने कहा है कि ‘देश और प्रदेश हित में इस तरह के निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए। संकट में राजनीति नही करनी चाहिए। सरकार और भाजपा को आपदा में भी अवसर नहीं खोजने चाहिए। सोचिए, उस सरकार का क्या, उस कैबिनेट का क्या जो अपने निर्णयों के पालन अपनी ही पार्टी के विधायकों से ही नहीं करवा पा रही है’।

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‘विधायकों के वेतन से कटौती का कैबिनेट का निर्णय स्पष्ट नहीं था कि कटौती सिर्फ वेतन से होनी है या भत्तों से भी। यही वजह रही कि विधायकों की कटौती राशि अलग-अलग है’।

_ वंशीधर भगत, अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा।

—-BJP MLAs ‘blow’ cabinet ‘decision into air

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