देहरादून। मुख्यमंत्री के फिजिशियन डा. एनएस विष्ट के सोशल मीडिया में वायरल हुए एक पत्र से स्वास्थ्य महकमे में हलचल मची हुई है। पत्र में देहरादून के सीएमओ डा. बीसी रमोला पर एक के बाद एक कई आरोप लगाए गए हैं। आरोप सामान्य नहीं बेहद गंभीर हैं। सवाल यह है कि विभाग ने ऐसे चिकित्सक को देहरादून जैसे जिले का मुखिया (सीएमओ) क्यों बनाया, जिन पर कि पद के दुरुपयोग और यौन शोषण तक के गंभीर आरोप पहले से ही हैं। डा. विष्ट पत्र से इतर भी इन आरोपों पर अडिग हैं। अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने मंगलवार को आला गले में पहनने के बजाए पीठ पर लटका कर रखा। साफ शब्दों में कहा कि उनकी यलगार पद और धन के लिए नहीं बल्कि ‘संवेदनहीनता’ के खिलाफ है।
इस पूरे मामले में डा. एन एस विष्ट का एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। पत्र में सीएमओ डा. बीएस रमोला के तानाशाही रवैये और करतूतों का खुलासा करने के साथ ही उन्हें मिल रहे संरक्षण का भी जिक्र किया गया है। पत्र में डा. एनएस विष्ट ने कहा है कि –
_ पहले अपने ऑफिस में 16 मार्च को रमेाला ने मेरे साथ भरी मीटिंग में गैरपेशेवराना दुर्व्यवहार किया। कोविड की इस मीटिंग में उन्होंने मुझसे ऊलजलूल बातें कीं।
_ 18 मार्च को जब मैं कोविड फिजिशियन के रूप में अस्पताल में प्रवास में था तो मेरी भ्रामक वीडियो बनाकर दुष्प्रचार किया गया।
_ मेरे अस्पताल प्रवास के दौरान एक कोविड फिजिशियन के रूप में मेरा भांति-भांति से उत्पीड़न किया।
_ कोविड नोडल आफिसर द्वारा दिए गए ठोस आईसोलेशन को अस्वीकार करते हुये मेरे विरुद्ध नोट शीट बनाई। मेरे पास विभिन्न माध्यमों को भेजकर लगातार मुझ पर मानसिक दबाव बनाया गया और अंत में एक प्रश्नमाला पकड़ाकर मुझे धमकाने की कोशिश की।
_ मेरे अस्पताल प्रवास के दौरान मुझे अपनी पहुंच का हवाला देकर नेस्नाबूत करने की धमकी दी।
_ कोविड फिजिशियन रहने के बावजूद मेरी एसीआर खराब की जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में मेरी एसीआर उत्कृष्ट रही है।
_ मुझे फोन के माध्यम से एसीआर ठीक करने का लालच दिया।
_ महानिदेशक के माध्यम से मेरे पास भेजकर पद का लालच दिया। इसके अलावा भी डा. रमोला पर पहले यौनशोषण का आरोप लगा चुका है। फोर्टीज अस्पताल में अवैध कैंटीन चलाने व अपने सहयोगी चिकित्सकों का मीडिया के जरिये दुष्प्रचार करने का आरोप भी उन पर है।
—Chief Minister’s Physician Starts Battle Against Insensitivity