_ अनुष्ठान के लिए मोक्षधाम बदरीनाथ व सप्तपुरी हरिद्वार की मिट्टी और गंगा-यमुना नदी का जल ले जाया जाएगा अयोध्या
देहरादून। अध्योध्या में राममंदिर के भूमि पूजन में उत्तराखण्ड को भी खासी अहमियत मिलने जा रही है। 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में उत्तराखण्ड से मोक्षधाम बदरीनाथ व सप्तपुरी हरिद्वार की मिट्टी और गंगा-यमुना नदी का जल अयोध्या ले जाया जाएगा। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से सप्तपुरियों व चारधाम की पवित्र मिट्टी के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा।
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए तैयारियां जारेशोर से चल रही हैं। भूमि पूजन का विधान तीन चरणों में होना है। पहले चरण में सूर्यादि नवग्रह का आह्वान होगा। दूसरे में इंद्रादि प्रधान देवताओं और गंधर्वों का आह्वान होगा। जबकि तीसरे चरण में महागणपति पूजन के साथ राममंदिर का भूमिपूजन किया जाएगा। काशी के तीन विद्वानों की देखरेख में यह पूरा कर्मकाण्ड होगा। देश के अलग-अलग हिस्सों से 11 वैदिक ब्राह्मणों को अयोध्या बुलाया गया है। भूमि पूजन के अनुष्ठान में सात पवित्र पुरियों अयोध्या, मथुरा, काशी, कांची, उज्जैन, हरिद्वार व द्वारिका और चारधामों बदरीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथपुरी व रामेश्वरम् की मिट्टी प्रयोग में लाई जाएगी। इसके अलावा देश की महत्वपूर्ण नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा और सरयू का जल भी अनुष्ठान में प्रयुक्त होगा। चूंकि इस अनुष्ठान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रतिभाग करेंगे लिहाजा कोरोना संक्रमण को देखते हुए भी तमाम एहतियात बरते जा रहे हैं। इसे देखते हुए रामलला के दरबार में अनुष्ठान करने वाले आचार्य इंद्रदेव ने सुझाव दिया है कि अलग-अलग धामों और तीर्थों में न जाकर केवल नेपाल के प्रख्यात तीर्थ क्षेत्र स्वर्गद्वार की मिट्टी अनुष्ठान के लिए लायी जा सकती हैँ। क्योंकि मान्यता है कि वहां की मिट्टी में सभी धामों औी तीर्थों की मिट्टयों का समावेश है, इसलिए अगर केवल स्वर्गद्वार की मिट्टी को भूमिपूजन के अनुष्ठान के लिए लाया जाएगा तो वह भी बराबर फलदायी होगा। इधर, बदरीनाथधाम के मुख्य धर्माधिकारी भुवन उनियाल का कहना है कि पवित्र धामें और नदियों की वजह से समूचे उत्तराखण्ड को देवभूमि की श्रेणी में रखा गया है, अनुष्ठान के लिए प्रदेश के किसी भी स्थान से मिट्टी ले जाई जा सकती है।
—Uttarakhand connection of Bhoomi Poojan of Ram temple
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