
देहरादून। हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखण्ड के खनन माफिया आपस में मिलीभगत कर जीएसटी चोरी का खेल खेल रहे हैं। फर्जी रवन्ना (बिल) के जरिए रोजाना हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से उत्तराखण्ड में उपखपनिजों से लदे सैकड़ों वाहन (ट्रक, डम्फर आदि) भेजे जा रहे हैं। रवन्ने ऐसी विक्रेता फर्म और क्रेशर के काटे जा रहे हैं जिनका धरातल पर अस्तित्व है ही नहीं। क्रेता फर्म और खनन व्यवसायी भी पूरी तरह फर्जी हैं। इस खेल में एक साथ दो राज्यों के राजस्व को चूना लगाया जा रहा है। माफिया मौज में हैं और दोनों हाथों से पैसा बटोर रहे हैं। हैरानी की बात है कि इस गोरखधंधे में सम्बंधित राज्यों की सरकारी मशीनरी भी संलिप्त है। खेल ‘लाखों’ नहीं बल्कि ‘करोड़ों’ का है।
हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से उपखनिजों के रोजाना लगभग 600 वाहन कुल्हाल बार्डर से उत्तराखण्ड में प्रवेश करते हैं। इनमें से लगभग 400 वाहन ऐसे होते हैं जो फर्जी बिलों को आधार बनाकर उपखनिज सप्लाई करते हैं। कुल्हाल बार्डर पर वन विभाग का एक चैक पोस्ट है जहां पर इन वाहनों से उपखनिज का 60 रुपया प्रति कुंतल अभिगमन शुल्क लिया जाता है। चूंकि वाहनों के पास फर्जी बिल होते हैं, जिसकी जानकारी वन विभाग के कार्मिकों को है लिहाजा वे इस बात को छुपाने के लिए वाहन चालक से प्रति वाहन 300 रुपया अवैध शुल्क अगल से वसूलते हैं। कुल्हाल चैक पोस्ट पर वन विभाग के कर्मचारी लाखों की अवैध कमाई कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामले में विकासनगर कोतवाली पुलिस ने कुल्हाल के स्थानीय लोगों की सूचना पर धर्मावाला के पास एक ढाबे में लैपटॉप के जरिए फर्जी बिल काट रहे हरियाणा के कुछ खनन माफिया को दबोच लिया। प्रत्याक्षदर्शियों के मुताबिक उनके पास से चार लग्जीरियस वाहन, लैपटॉप और फर्जी बिल भी बरामद हुए। जाँच में पाया गया कि बरामद रवन्ने व बिल य दुर्गा स्टोन क्रेशर ग्राम जयधरी खिजराबाद हरियाणा से जारी किये गये हैं जिन पर हस्ताक्षर अंकित नहीं थे। हरियाणा सम्पर्क करने पर पता चला कि जय दुर्गा नामक क्रेशर कहीं है ही नहीं। इधर, पूछताछ के दौरान पुलिस को जब माफिया के हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखण्ड में सियासी रसूख के बारे में पता चला तो सारी कहानी बदल दी गई। बाद में पुलिस ने इस मामले में एक ट्रक चालक राशिद पुत्र सुकरदीन निवासी ग्राम आमूवाली खिजराबाद जनपद यमुनानगर हरियाणा को गिरफ्तार करते हुए सम्बंधित चार डम्फर और एक ट्रक को सीज कर दिया। लग्जीरियस वाहन और उसमें सवार लोग कहां गए इसका जिक्र तक पुलिस नहीं कर रही है। यदि पुलिस हाथ आए लोगों से पूछताछ के आधार पर कार्रवाई करती तो खनन माफिया के करोड़ों के जीएसटी चोरी का बड़ा मामला सामने आ सकता था। हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखण्ड के कई सफेदपोश और नौकरशाह भी बेनकाब हो सकते थे।