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जैन समाज का दस दिवसीय पर्युषण महापर्व शुरु, कलश सजाओ, फैंसी ड्रेस व थाल सजाओ प्रतियोगिता आयोजित

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देहरादून। जैन समाज का पर्युषण महापर्व शुरु हो गया है, यह महापर्व 19 सितंबर तक चलेगा। पर्युषण पर्व के शुभारंभ अवसर पर जैन धर्मशाला में 108 मुनि विबुद्ध सागर जी एवम क्षुल्लक 105 समर्पण सागर जी महाराज के परम सानिध्य में प्रातः 6.30 बजे अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा, णमोकार महामंत्र का आयोजन किया गया। सायं 35 मिनट णमोकार मंत्र का पाठ, सामूहिक आरती एवम सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रंृखला में जैन मिलन प्रगति द्वारा ’कलश सजाओ फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, थाल सजाओ प्रतियोगिता आयोजित की गयी। जिसमे सभी महिलाएं दीपक के साथ थाल सजाकर घर से लाई और थालों के साथ नृत्य कर आरती की। 

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी मधु सचिन जैन ने बताया कि शहर के अन्य मंदिरों में भी पूजा प्रक्षाल बड़े हर्षाेल्लास और आनंद के साथ किया गया। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से पूजा अर्चना की। इस अवसर पर 108 विशुद्ध सागर जी महाराज एवं 105 क्षुल्लक समर्पण सागर जी महाराज ने पर्युषण पर्व के उत्तम क्षमा के प्रथम दिन अपने प्रवचन मंे कहा कि ’क्रोध एक कषाय है। जो व्यक्ति को अपनी स्थिति से विचलित कर देता है। इस कषाय के आवेग में व्यक्ति विचार शून्य हो जाता है और हिताहित का विवेक खोकर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। लकड़ी में लगने वाली आग जैसे दूसरों को जलाती है, पर स्वयं लकड़ी को भी जलाती है। इसी तरह क्रोध कषाय के स्वरूप को समझ लेना और उस पर विजय पा लेना ही क्षमा धर्म है। मनीषियों ने कहा है कि क्रोध अज्ञानता से शुरू होता है और पश्चाताप से विचलित नहीं होना ही क्षमा धर्म है।इस अवसर पर जैन भवन मंत्री संदीप जैन, हर्ष जैन (महामंत्री), आशीष जैन, अर्जुन जैन (सयोजक), अमित जैन, अजित जैन, नरेश चंद जैन, ममलेश जैन (संरक्षिका), शिल्पी, पूनम, उमा, सुदेश, सुनील, अलका जैन (अध्यक्ष) आदि महिलायें उपस्थित रहीं।

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