उत्तराखण्ड

गठबंधन सरकार की संभावनाओं को लेकर भाजपा-कांग्रेस सतर्क

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देहरादून। चुनाव परिणाम आने में भले ही अभी एक सप्ताह का समय शेष सही, लेकिन सूबे के नेताओं ने अभी से हर संभावित परिणाम की स्थिति में सत्ता तक पहुंचने की संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी है। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में कैसे सरकार बनानी है। इसके लिए अभी से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।
भले ही मतदान के बाद सभी दल अपनी ही सरकार बनने का दम भर रहे हो, लेकिन चुनाव परिणाम अगर अपेक्षानुसार नहीं आता है और बहुमत से दो-चार सीटें कम रह जाती हैं तो उन्हें कैसे जुटाया जा सकता है इस पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं ने अभी से अपनी तैयारियां करना शुरू कर दी है। भाजपा और कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर तो आश्वस्त हैं कि मुकाबला तो भाजपा-कांग्रेस के बीच ही हो होगा, लेकिन बाजी किसके हाथ लगेगी इसका पक्का भरोसा किसी भी दल को नहीं है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मुद्दे पर दोनों ही दलों के नेताओं द्वारा दो स्तर पर काम किया जा रहा है। राज्य स्तर पर कुछ नेताओं को संभावित जीत वाले निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क साधने के काम पर लगाया गया है तथा बसपा जिसके इस बार कुछ प्रत्याशियों के जीतकर विधानसभा पहुंचने की उम्मीदें हैं उन्हें भी साधने पर काम किया जा रहा है। वहीं केंद्रीय स्तर पर भी इसकी कवायतें जारी है। आप और बसपा के अगर प्रत्याशी जीतते हैं तो उनका समर्थन कैसे हासिल किया जा सकता है इसे लेकर दिल्ली में बैठे नेताओं द्वारा अंकगणित लगाया जा रहा है। क्योंकि किसी भी पार्टी के समर्थन की स्थिति में अरविंद केजरीवाल और मायावती की भूमिका भी अहम हो सकती है। इन दिनों भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली में रहकर इस मुद्दे या संभावना पर अपने नेताओं के साथ विचार मंथन में जुटे हैं। उनकी कोशिश है कि वह चुनाव परिणाम आने से पूर्व ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि अगर जरूरत पड़ती है तो उन्हें किसका साथ मिल सकता है। चुनाव पूर्व भले ही भाजपा या कांग्रेस के अन्य राज्यों की तरह अन्य किसी भी दल से गठबंधन जैसी स्थिति न सही लेकिन पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में राज्य में गठबंधन सरकार की संभावना बन सकती है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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