इसे कहते हैं “पहाडी मनखी चैलेंज” !

वरिष्ठ पत्रकार श्री क्रांति भट्ट जी की कलम से
“स्काई टू ओसेन ” ( आसमान से सागर तक )
भारत के आखिरी हिमालयी और आसमान सी ऊंचाई वाले गांव ” माणा” से कन्याकुमारी के सागर तट की यात्रा साइकिल से पूरी करने वाले “पहाड़ी” युवक सोमेश पंवार ने 4033 का सफर 46 दिन में तय किया। ऐवरेस्ट विजेता एडमेंड हेलरी ने बहुत पहले एक अभियान शुरु किया था। ” ओसेन टू स्काई ” ( सागर से आसमान तक ) बंगाल की खाड़ी से बदरीनाथ ( हिमालय आसमान की ऊंचाई पर ) तक बोट से आने का अभियान था। पूरी यात्रा तो ठीक रही। पर आखिरी वक्त में नन्दप्रयाग में अलकनन्दा नदी के एक स्थान लाख कोशिश के बाबजूद भी उनकी बोट आगे नहीं बढ़ पायी। लगातार कोशिश के बाबजूद भी वे जब असफल हुये तो उन्होने कहा ” मैं सागर की लहरों से जीता। पर हिमालय आसमान से हारा ” । पर एक पहाड़ी युवा ने किसी को ‘चैलेंज’ तो नहीं किया। पर ‘संकल्प ‘ जरूर लिया। पांडुकेश्वर गांव चमोली के युवा सोमेश पंवार ने पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण मुक्त भारत के संकल्प को आखिरी गांव माणा से कन्याकुमारी के सागर तट की साइकिल 1 नवम्बर से शुरू की। और गुरुवार को कन्याकुमारी पहुंच कर यात्रा पूरी की। लगभग 4033 किमी की हिमालय से सागर की यात्रा वाकई ” पहाड़ी चैलेंज ” है। अपने दल के नेताओं, उनके पिता, दादा परदादा, झड़ दादा के जनम बार बधाई देने में आतुर हमारे किसी भी जन प्रतिनिधि ने दो शब्द इस सफलता पर सोमेश को नहीं दिये ! हैरानी है। युवाओं और खिलाड़ियों को प्रेरित करने का दावा करने वाली और उत्तराखंड पर गौरव की बात करने वाली हमारी सरकार को या तो पता ही नहीं या फुर्सत ही नहीं कि शब्द हिमालयी सफलता के लिये सोमेश पंवार को प्रोत्साहित करने के लिये दें भी।