मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की दरियादिली से विनोद की उम्मीदों को लगे पंख

देहरादून। आम धारणा है कि सत्ता मिलने के बाद राजनेताओं को आम लोगों की परवाह नहीं होती और वे किसी के सगे नहीं होते। पर ऐसे स्वार्थी राजनेताओं की भीड़ में कई बार ऐसे नेता भी उभर कर आते हैं जो गरीबो के हित में काम करना चाहते हैं। सिस्टम बदलना चाहते हैं। फिर चाहे दुनियां उनके बारे में कुछ भी कहती रहे। कुछ ऐसी ही खासियत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत में भी है।
गरीब और असहाय लोगों के सामने जब भी बीमारी अथवा दुर्घटनावश जीवन और मरण की स्थिति आती है तो मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की दरियादिली से उनकी उम्मीदों को पंख लग जाते हैं। ऐसा ही एक वाकया हाल के दिनों में देहरादून में देखने को मिला। 141, पण्डितवाड़ी, देहरादून में रहने वाले विनोद साहनी मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। बीते 12 मार्च को उनका 14 वर्षीय पुत्र राजवेंद्र घर के पास खेल रहा था। इसी बीच दौड़ते समय वह संतुलन खो बैठा और वहां मौजूद एक सरिया उसके पेट में घुस गई। पेट में घुसी सरिया से उसकी एक किडनी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और तेजी से इंफैक्शन फैलने से कुछ दिनों बाद दूसरी किडनी भी खराब हो गई। डाक्टरों ने कहा कि उसकी जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है जो जल्दी से जल्दी किया जाना चाहिए। लेकिन जब अस्पताल ने किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च लगभग 8 लाख रुपये बताया तो विनोद साहनी के पैरों तले जमीन खिसक गई। इतनी बड़ी रकम जुटाना उसके बूते की बात नहीं थी। इस घटना के बाद विनोद साहनी को एहसास हुआ कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के प्रति हर व्यक्ति को सजह रहना चाहिए। उसने समय पर परिजनों का आयुष्मान कार्ड और अपना श्रमिक कार्ड बनाया होता तो उसके बेटे के उपचार में पैसों की अड़चन नहीं आती। कैंट क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक हरवंश कपूर ने सहृदयता दिखाते हुए यह मामला मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत तक पहुंचाया। देर लगाए बगैर मुख्यमंत्री ने आदेश जारी किए कि राजवेंद्र की किडनी ट्रांसप्लांट में जो भी खर्च आएगा उसे पूरा राज्य सरकार वहन करेगी। अब हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में राजवेंद्र का डायलिसिस चल रहा है। जल्द ही उसकी किडनी ट्रांसप्लांट कर दी जाएगी। राजवेन्द्र को दुआ की दरकार है।
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