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सीएम त्रिवेन्द्र ने पूर्व सीएम हरीश को दिखाया आईना

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देहरादून। कांग्रेस की पूर्ववर्ती हरीश सरकार के एक जनविरोधी फैसले को पलट कर मौजूदा त्रिवेन्द्र ने रोजगार से वंचित समाज के बड़े तबके को राहत दी है। मामला उपनल से जुड़ा हुआ है। सरकार ने उपनल की आउटसोर्सिंग भर्ती नियमावली में बदलाव किया है। अब गैर सैनिक आश्रित भी उपनल के जरिये नौकरी पा सकेंगे। इससे पहले उपनल से सिर्फ पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों को ही रोजगार मिलता रहा हैसरकारी महकमों में आउटसोर्सिंग के जरिये रोजगार देने के लिए सरकार ने 2004 में उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) नामक एजेंसी का गठन किया था। उस वक्त पूर्व सैनिकों के साथ ही उनके आश्रितों को इस एजेंसी से नौकरी दिए जाने का पात्र माना गया। नियमावली में प्राविधान किया गया कि पूर्व सैनिकों को रोजगार प्रदान करने में तरजीह दी जाएगी। इसके बाद वर्ष 2013 में सरकार ने आउटसोर्सिंग की भर्ती पर आरक्षण नियमावली प्रभावी कर दी। गैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को भी उपनल से रोजगार दिया जाने लगा। 15 वर्ष की अवधि में उपनल से कुल लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। इन नियुक्तियों में अनियमितता के भी कई प्रकरण सामने आने लगे। ज्यादातर गड़बड़ियां कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुईं। इसके लिये पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जनविरोध झेलना पड़ा। जनता के आक्रोश को देखते हुए वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उपनल की भर्ती नियमावली पर कैंची चलते हुए समाज के एक बड़े वर्ग को रोजगार से वंचित कर दिया। नियम सख्त करते हुए सिर्फ़ पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को ही उपनल से नौकरी पाने का पात्र माना गया। हरीश सरकार के फैसले से राज्य के गैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोग एक झटके में रोजगार पाने के अधिकार से वंचित हो गए। होना यह चाहिए था कि उपनल की भर्ती प्रक्रिया में सुधार करते हुए उसे पारदर्शी बनाया जाता। तकरीबन 4 साल तक आम लोग इसका नुकसान भुगतते रहे। अब त्रिवेन्द्र सरकार ने हरीश सरकार की इस बड़ी गलती में सुधार किया है। व्यापक जनहित को देखते हुए उपनल भर्ती नियमावली को बदला गया है। अब फिर से गैर सैनिक पृष्ठभूमि के भी उपनल के माध्यम से रोजगार पा सकेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस निर्णय से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को आइना दिखाने का काम किया है। त्रिवेन्द्र रावत ने उपनल को सख्त निर्देश दिये हैं कि आउटसोर्स भर्ती में अनियमितता बर्दास्त नहीं की जाएगी। नौकरी देने में पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों को तरजीह देने के नियम का सख्ती से पालन किया जाए। संभवतया, बड़ा दिल दिखाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मौजूदा सरकार के इस फैसले का स्वागत जरूर करेंगे।

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