उत्तराखण्ड

संस्कृति मंत्री महाराज ने किया भगवती नन्दा देवी के गीतों का विमोचन

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देहरादून। माँ नंदा देवी राजजात यात्रा उत्तराखंड में 12 साल में एक बार होने वाली एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा है। यह यात्रा देवी नंदा को समर्पित है होने के साथ साथ गढ़वाल और कुमाऊं के लोगों को आपस में जोड़ने का भी काम करती है। हम मां भगवती नंदा से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे राज्य को आपदाओं से मुक्त कर सुख-समृद्धि प्रदान करे।
उक्त बात प्रदेश के धर्मस्व, संस्कृति, पर्यटन, ग्रामीण निर्माण, लोक निर्माण, सिंचाई एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को श्री नन्दा देवी राजराजेश्वरी सिद्धपीठ कुरूड़, नन्दा देवी सेवा समिति द्वारा हरिद्वार बायपास रोड स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में आयोजित माँ भगवती नन्दा देवी के गीतों के विमोचन के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि इस बार श्री नंदादेवी राजजात यात्रा का आयोजन 2026 में होना है और सरकार लागातार इस लोक जात की तैयारियों में जुटी हुई है। उत्तरकाशी के धराली में आई भीषण त्रासदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम मां भगवती नंदा से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे राज्य को आपदाओं से मुक्त कर सुख-समृद्धि प्रदान करने के साथ-साथ हमारी रक्षा करे।
संस्कृति मंत्री श्री महाराज ने कहा कि नंदा देवी राजजात यात्रा चमोली जिले के नौटी गाँव से शुरू होकर होमकुंड तक जाती है, जिसमें दो सौ अस्सी से दो सौ नब्बे किलोमीटर की दूरी तय की जाती है। कांस्वा के कुंवर लोग इस परंपरा के तहत अपनी कुल देवी श्री नंदादेवी सिद्धपीठ कुरुड़ की डोली में पूजा और मनौती भेंट करने के लिए नौटी से चलकर नंदकेसरी में अपनी पूजा और मनौती भेंट करते हैं। प्रतिवर्ष नंदादेवी राजराजेश्वरी सिद्ध पीठ कुरुड़ से छोटी जात (लोकजात) व 12 वर्ष बाद बड़ी जात (राजजात) का आयोजन होता है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि नंदा देवी राजजात यात्रा से पूर्व नंदा देवी सेवा समिति के सौजन्य से गीतकार रचना दर्वान नैथवाल द्वारा रचित और गायक दर्वान नैथवाल नीति की आवाज में गाये गये माँ भगवती नन्दा देवी के गीतों का एल्बम निश्चित रूप से मां नंदा के भक्तों और श्रृद्धालुओं में आस्था, भक्ति एवं उत्साह का संचार करने के साथ-साथ राजजात के ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व की जानकारी से भी अवगत करवायेगा।

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