‘CWC’ और ‘गुटबाजी’ …

देहरादून: राजीव गांधी की जयंती के दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी’ का एलान कर दिया, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और स्वयं मल्लिकार्जुन खरगे समेत कुल 39 सदस्यों को शामिल किया गया है। उत्तराखण्ड के लिहाज से खास बात यह है कि इस नई टीम में उत्तराखंड के दो नेताओं को जगह दी गई है, जिनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को स्थाई सदस्य और गणेश गोदियाल को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। गणेश गोदियाल की कांग्रेस के राष्ट्रीय फलक में एंट्री के तमाम मायने निकाले जा सकते हैं।
दरअसल, कांग्रेस हाई कमान उत्तराखण्ड कांग्रेस के नेताओं के बीच लंबे अरसे से चली आ रही खींचतान को खत्म करना चाहता है। हाईकमान की कोशिश है कि सूबे के नेताओं की इस गुटबाजी को 2024 से पहले समय रहते समाप्त किया जाए। इसके लिए सूबे के दिग्गज नेताओं को राज्य के बाहर और राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। शुरुआत प्रीतम सिंह को छत्तीसगढ़ का मुख्य पर्यवेक्षक बनाकर की गई। इसके बाद खरगे ने नई सीडब्ल्यूसी में हरीश रावत को स्थाई सदस्य और गणेश गोदियाल को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया है। यानी हरीश का सम्मान बरकरार रखा गया और गोदियाल को राष्ट्रीय टीम में प्रवेश दिया गया। अब नेशनल टीम में गोदियाल की एंट्री के मायने समझिए। ये माना जा रहा है कि गोदियाल को सीडब्ल्यूसी में शामिल करके कांग्रेस ने उनकी निष्ठा का सम्मान किया है। इसके अलावा कहीं न कहीं कांग्रेस हाई कमान को ये खटक रहा था कि गोदियाल को पीसीसी अध्यक्ष पद से हटाया जाना न्याय संगत नहीं था। वहीं दूसरी ओर ये भी संदेश था कि पीसीसी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के दोनों पद कुमाऊं की झोली में हैं, जिसे गढ़वाल की उपेक्षा के रूप में देखा जा रहा था। संतुलन का एक और फैक्टर ‘जाति’ भी हाईकमान के जहन में रहा। यही तमाम वजह रहीं कि गोदियाल अब CWC के विशेष आमंत्रित सदस्य बने हैं। उत्तराखण्ड से हटकर बात करें तो सीडब्ल्यूसी की नई टीम में दो चौंकाने वाले नाम हैं, एक सचिन पायलट और दूसरा शशि थरूर। दोनों ने ही बीते सालों में अपनी गतिविधियों से कांग्रेस को असहज किया है। कांग्रेस शासित प्रदेशों के किसी भी मुख्यमंत्री का नाम CWC में शामिल न होना भी हैरान करने वाला है। संभवतया कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।