उत्तराखण्ड

पहले आदिगुरु शंकराचार्य … फिर महारानी अहिल्याबाई होलकर… और अब नरेन्द्र मोदी…

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देहरादून। पहले आदिगुरु शंकराचार्य और उनके बाद महारानी अहिल्याबाई होलकर। इन दो महान विभूतियों को कौन नहीं जानता। देश की चारों दिशाओं में मठ-मंदिरों का निर्माण कर भारत को एकसूत्र में बांधने का श्रेय इन्हें ही जाता है। दोनों ने ही सनातन धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। अब उनके दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।
    सनातन धर्म के पुनरोद्धारक आदिगुरु शंकराचार्य का जन्म (केरल के कालड़ी ग्राम में 788 ई॰ में) ऐसे समय में हुआ था, जब धार्मिक दुराचरण का बोलबाला था। नैतिकता तथा सदाचार धार्मिक केन्द्रों से दूर होने लगा था। सामाजिक अन्धविश्वास और कुरीतियां धर्म को छिन्न-भिन्न रही थीं। ऐसे समय में आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं में मैसूर में श्रुंगेरी पीठ, जगन्नाथपुरी में गोवर्धन पीठ, द्वारिका में द्वारका पीठ, बद्रीनाथ में ज्योतिष पीठ की स्थापना कर लोगों को धर्म का सही रूप बताया और उन्हें एकसूत्र में बांधा। मान्यता है कि आठवीं शदाब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने उत्तराखण्ड में केदारनाथ समेत तमाम मंदिरों की स्थापना की थी। उनके बाद मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी अहिल्याबाई होलकर (31 मई 1725-13 अगस्त 1795) ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में मन्दिर, घाट, कुओं और बावड़ियों का निर्माण और सौन्दर्यीकरण करवाया था।
    उनके बाद भारत की विरासत, संस्कृति और शक्ति को समृद्ध करने में महारानी अहिल्याबाई होल्कर का महत्वपूर्ण योगदान है। अपने लोक कल्याणकारी कदमों की वजह से वह 18वीं सदी की महान विभूति के रूप में जानी जाती हैं। महारानी ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। ध्वस्त हो चुके सोमनाथ मंदिर के समीप दो मंजिला मंदिर बनवाया। उत्तराखण्ड में केदारनाथ समेत तमाम तीर्थ स्थलों पर निर्माण कार्य करवाए ताकि यहां आने वाले यात्रियों को सुविधाएं मिल सके।
  मंदिरों के पुनरोद्धार को लेकर ठीक वैसी ही समानताएं मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों में देखी जा सकती हैं। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन ऐतिहासिक सफलता है, मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करवा रहे हैं। चारधाम परियोजना के साथ-साथ केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे धामों का कायाकल्प भी हो रहा है। गंगोत्री और यमुनोत्रीधाम के सौन्दर्यीकरण की योजना को भी वह स्वीकृति दे चुके हैं। इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने कई देशों में फैली हमारी सांस्कृतिक विरासत को नए सिरे से संरक्षित करने के सफल प्रयास भी किए हैं। उन्होंने बहरीन की राजधानी में 200 साल पुराने नाथजी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य का उद्घाटन किया। उनके प्रयासों से ही यूएई के अबूधाबी में स्वामीनारायण मंदिर के तौर पर पहले परंपरागत हिंदू मंदिर निर्माण की अनुमति मिल पाई। साल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले आधिकारिक दौरे पर यूएई गए थे तो उस समय ही इस मंदिर के लिए जमीन देने का ऐलान किया गया था। यह मंदिर दिल्लीर और न्यूग जर्सी में स्थित अक्षरधाम मंदिर के जैसा ही नजर आने वाला है। मंदिर साल 2024 में खुलेगा। इसके निर्माण पर 888 करोड़ रुपए से ज्या दा का खर्च आ रहा है।
  मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में विदेशों से रिकॉर्ड 44 धार्मिक कलाकृतियां हासिल की जो भारत की विरासत थीं। ऐसी ही अन्य 119 कलाकृतियां जल्द भारत लाई जानी हैं। वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोकस अयोध्या में राममंदिर के निर्माण और उत्तराखण्ड के चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के पुनरोद्धार पर है। हाल ही में बीते 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर के पुनर्विकास की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। महाकाल मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए इस कॉरिडोर को दिव्यता प्रदान की जा रही है। इसकी भव्यता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके विकास पर सरकार करीब 800 करोड़ रुपए का इंवेस्टजमेंट कर रही है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी कोयंबटूर में भगवान शिव की 112 फीट ऊंची आवक्ष प्रतिमा का अनावरण कर चुके हैं।
  देवभूमि उत्तराखण्ड की बात करें तो लगभग 250 करोड़ की लगात से केदारनाथ का पुनर्निर्माण हो चुका है। इसके दूसरे चरण में लगभग 150 करोड़ के निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयास के कारण आज असंख्य लोगों की आस्था का केन्द्र केदारनाथधाम अपने भव्य स्वरूप में दिखने लगा है। भू-बैकुण्ठधाम के कायाकल्प के लिए 424 करोड़ की ‘बदरीनाथ महानिर्माण योजना’ पर काम शूरू हो चुका है। यह महायोजना तीन चरणों में पूरी होनी है। साथ ही गंगोत्री और यमुनोत्री धाम वर्ष 2023 में नए स्वरूप में नजर आएंगे। केंद्र सरकार की प्रसाद महायोजना में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के जीर्णोद्धार के लिए 45 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। जिसमें यमुनोत्री के लिए 35 करोड़ व गंगोत्रीधाम के लिए 10 करोड़ की धनराशि शामिल है।
    कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी आदिगुरु शंकराचार्य और महारानी अहिल्याबाई होलकर के दिखाए मार्ग पर चल रहे हैं जिससे विश्व में भारत की साख पुनर्स्थापित हो रही है। दिलचस्प बात यह है कि सनातन धर्म के पोषक और संरक्षक रहे आदिगुरु शंकराचार्य के केदारनाथ स्थित समाधिस्थल की पुनर्स्थापना करके मोदी ने उन्हें यथोचित सम्मान दिया है। आदिगुरु 32 वर्ष की अल्प आयु में सम्वत 477 ई.पू. में केदारनाथ के समीप शिवलोक गमन कर गए थे। 21 अक्टूबर को मोदी एक बार फिर केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आ रहे हैं। देवभूमि उनके स्वागत के लिए ‘पलक पॉवड़े’ बिछाये तैयार बैठी है।

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