दून उद्योग व्यापार मंडल की जिला कार्यसमीति की कार्यशाला आयोजित

देहहरादून। दून उद्योग व्यापार मंडल की जिला कार्यसमीति द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में दोनों व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन नागलिया के द्वारा सभी कार्यकर्ताओं एवं व्यापार मंडल के सभी प्रतिनिधियों का स्वागत अभिनंदन किया गया। उन्होंने कहा कि आज देहरादून में दून व्यापार मंडल की कई समितियां गठित की गई हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य है देहरादून के सभी व्यापारियों का संरक्षण करना और व्यापारी किस प्रकार समाज हित में काम करते हुए अपनी अहम भूमिका को निभाते हैं। इस ओर सरकार को ध्यान दिलाना और सरकार के साथ सामंजस्य बनाते हुए देहरादून को एक सुंदर स्वरूप के रूप में देहरादून अपनी छवि को बनाकर रखें यह हमारे सभी व्यापारियों की एक अहम भूमिका है।
कार्यक्रम में सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल के द्वारा सभी प्रतिनिधियों का स्वागत अभिनंदन किया गया और कहा कि महानगर देहरादून में दून उद्योग व्यापार मंडल 1972 से काम करता आ रहा है अगर हम अपनी जीवन में किसी व्यापार की बात करें तो बड़ा सोचने की बात होती लेकिन आज पिछले 53 वर्षों से यानि 5 दशकों से भी अधिक समय से दून उद्योग व्यापार मण्डल निरंतर अपने सिद्धान्तों पर अडिग रहते हुए व्यापारी हितों के लिए कार्य कर रहा है। इस संगठन की आधारशिला उस समय रखी गई जब पूरे देश में इक्का-दुक्का संगठन ऐसे थे जो व्यापारियों की चिंता करते थे। मित्रों, कर विभाग का चपरासी भी अपने को अधिकारी समझता था और मजबूरी में ही सही व्यापारी उसे अपना माय बाप साथियों कहना गलत ना होगा कि अगर हम कहें कि आज अपनी अथक कार्यशैली और समर्पित लक्ष्य साधना के कारण दून उद्योग व्यापार मण्डल को वो स्थान प्राप्त है जो कई पूरे राज्यों के लिए बने संगठनों को भी प्राप्त नहीं है। अग्रवाल नहीं है अभी कहा कि दून उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष समय समय पर कोई भी रहे हों उन्होने कभी भी व्यापारियों के मुद्दों व स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया। आज दून उद्योग व्यापार मण्डल के तत्वाधान में जिला देहरादून
व जिला ग्रामीण देहरादून के पूरे जिले में व्यापारियों के हितों के लिए काम करते हैं। चाहे वह व्यापारियों के कर का इशु हो या उत्पीड़न का, जब भी
जरूरत पड़ी हमने सड़कों पर उतरकर इसकी लड़ाई को लड़ा और व्यापारियों के सुख दुख की एक परिवार की तरह चिंता की। कैसे भुलाया जा सकता है दून उद्योग व्यापार मण्डल की इस यात्रा के जुझारू साथियों को जिन्होने समय-समय पर इस यात्रा को अपने अतिमहत्वपूर्ण योगदान से आगे बढाया और ध्वज वाहक की भूमिका में रहते हुए ।कभी अपनी और अपने व्यापारों की चिंता नहीं की।