उत्तराखण्ड

सम्पूर्ण विकास के प्रौढ़ शिक्षा केंद्र का शुभारम्भ

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देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के समग्र शिक्षा प्रकाप मंथन-सम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में ‘स्याही-प्रौढ़ शिक्षा केंद्र’ का शुभारम्भ किया गया। इस केंद्र की प्रथम कक्षा में लगभग 30 महिलाओं ने प्रवेश लिया, जिनमें वे मातृशक्ति सम्मिलित हैं जिन्होंने अपने बालपन में कभी विद्यालय में कदम नहीं रखा अथवा बाल्यकाल में ही शिक्षा से वंचित रह गईं या फिर केवल कुछ प्रारम्भिक अक्षरज्ञान तक सीमित रह गईं। इन वर्गों में 40 से 70 वर्ष आयु वर्ग की महिलाएं अब पुनः अक्षरज्ञान अर्जित करेंगी- हिन्दी वर्णमाला, स्वर-व्यंजन, शब्द लेखन, संख्याज्ञान, सरल गणना तथा दैनिक जीवनोपयोगी लेखन-पठन (जैसे बस नम्बर पढ़ना, राशन-पर्ची पहचानना, हस्ताक्षर करना इत्यादि)।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। तत्पश्चात् उपस्थित महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्ववर्ती ‘स्याही’ लाभार्थियों के प्रेरणादायी वीडियो प्रदर्शित किए गए। महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए रोचक गतिविधियाँ भी सम्पन्न हुईं। विशेष आकर्षण रहा स्वयं नामांकित महिलाओं द्वारा प्रस्तुत नाट्य-प्रस्तुति, जिसमें दिखाया गया कि अशिक्षा कैसे जीवन की छोटी-छोटी परिस्थितियों में उपेक्षा और अपमान का कारण बनती है- कभी बस में चढ़ न पाने की विवशता, कभी राशनकार्ड को कुण्डली समझ लेने की विडम्बना, तो कभी दुकानदारों द्वारा ठगे जाने की पीड़ा। यह हृदयस्पर्शी प्रस्तुति शिक्षा के महत्व को सजीव कर गई।
इस अवसर पर साध्वी दीपा भारती जी, संयोजिका- मंथन प्रकल्प तथा साध्वी रचिता भारती जी ने सभी शिक्षार्थी महिलाओं को स्टेशनरी किट्स व स्कॉलर आईडी कार्ड्स प्रदान किए। इन कार्ड्स को हाथों में पाकर अनेक महिलाओं की आँखें नम हो उठीं। उन्होंने साझा किया कि किस प्रकार अशिक्षा के कारण उन्हें जीवन भर अपने ही परिजनों के उपेक्षापूर्ण व्यवहार सहने पड़े। भाव-विभोर होकर उन्होंने दिव्य गुरु अशुतोष महाराज के प्रति कृतज्ञता प्रकट की-ष्हमने कभी सोचा भी न था कि इस आयु में हमें शिक्षा मिलेगी। स्वप्न देखना छोड़ चुके थे, पर आज दिव्य गुरु की कृपा और उनकी सर्वसमावेशी दृष्टि ने उस स्वप्न को वास्तविकता में बदल दिया।ष् अन्त में, महिलाओं ने अपने नवनिर्मित कक्षा-कक्ष का उद्घाटन किया और वहीं उनकी प्रथम पाठशाला भी आरम्भ हुई। प्रथम पाठ में उन्होंने ‘सीधी खड़ी रेखा’, ‘लेटी रेखा’, ‘आधा गोला’, ‘पूरा गोला’ और अन्ततः हिन्दी स्वर ‘अ’ लिखना सीखा। इस उद्घाटन समारोह में आसपास के गाँवों से 100 से अधिक महिलाएँ उपस्थित रहीं, जो इस नवप्रभात की साक्षी बनीं। ‘स्याही’ का यह सशक्त कदम दर्शाता है कि मंथन केवल बाल शिक्षा व व्यावसायिक प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, अपितु वयस्क साक्षरता की दिशा में भी समाज को एक नया प्रकाश पथ प्रदान कर रहा है।

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