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भारत तीन वर्षों में एक साथ 10 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करेगा

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नई दिल्ली। भारत अगले आने वाले तीन वर्षों में एक साथ 10 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करेगा।‌ कर्नाटक के कैगा में अगले साल 700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए नींव डालने के साथ भारत अगले तीन वर्षों में श्फ्लीट मोडश् में एक साथ 10 परमाणु संयंत्रों के निर्माण कार्यों को गति देने के लिए तैयार है। नींव के लिए कंक्रीट डालने (एफपीसी) के साथ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण अब पूर्व-परियोजना चरण से आगे बढ़कर निर्माण को गति देने का संकेत है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के परियोजना स्थल पर खोदाई की गतिविधियां भी शामिल हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अधिकारियों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति को बताया कि कैगा में इकाइयों-पांच और छह का एफपीसी 2023 में अपेक्षित है। गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना इकाइयों-तीन और चार तथा माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाई एक से चार का एफपीसी 2024 में अपेक्षित है। वहीं 2025 में चुटका मध्य प्रदेश परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाइयों एक और दो का एफपीसी होने की संभावना है। बताते चलें कि केंद्र सरकार ने जून 2017 में 700 मेगावाट के 10 स्वदेशी विकसित भारी जल संयंत्र के निर्माण को मंजूरी दी थी। ये 10 पीएचडब्ल्यूआर 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाएंगे। यह पहली बार है जब सरकार ने लागत कम करने और निर्माण के समय में तेजी लाने के उद्देश्य से एक बार में 10 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दी थी। अगले साल शुरू होने वाले 10 परमाणु रिएक्टरों के सन्दर्भ में डीएई अधिकारी ने कहा कि गोरखपुर इकाई तीन और चार तथा कैगा इकाई पांच और छह के टरबाइन आइलैंड के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण पैकेज दिए गए हैं। श्फ्लीट मोडश् के तहत पांच साल की अवधि में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की उम्मीद है।

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