‘एनडी सरकार’ की भूल ‘त्रिवेन्द्र सरकार’ ने सुधारी

देहरादून। 18 साल पहले की नारायण दत्त तिवारी सरकार के कार्यकाल में जारी हुए एक अव्यवहारिक आदेश को त्रिवेन्द्र सरकार निरस्त करने जा रही है। प्रदेश के एलीफेंट रिजर्व का वजूद खत्म कर उसमें शामिल बड़े भूभाग के विकास का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। इसके लिए स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित कर शासन को प्रेषित कर दिया गया है।
उत्तराखंड में एलीफेंट रिजर्व का अस्तित्व समाप्त किया जाएगा। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे प्रदेश में करीब 5200 वर्ग किलोमीटर का एरिया एलीफेंट रिजर्व से बाहर हो जाएगा। जिसके बाद इन स्थानों के विकास कार्यों में तेजी आ सकेगी। दरअसल 28 अक्टूबर 2002 को तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए 14 एलिफेंट कोरिडोरों को ‘शिवालिक एलीफेंट रिजर्व’ के नाम से नोटिफाई किया था। हाथियों की बहुतायत, उन्हें मिलने वाले लाभ आदि को देखे बगैर इतने सारे वन प्रभागों को मिलाकर एलीफेंट रिजर्व का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। ऐसे में जब भी कोई विकास का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाता था तो उसमें एलीफेंट रिजर्व का पेंच फंस जाता था। जबकि एलीफेंट रिजर्व को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्ट में कोई खास प्राविधान नहीं हैं। साफ है कि ‘एलीफेंट रिजर्व’ को ‘टाइगर रिजर्व’ जैसी न तो मान्यता है और न ही इसे लेकर कोई सख्त नियम। हाथियों को कोई फायदा मिले बगैर इस रिजर्व में शामिल 5200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विकास बुरी तरह प्रभावित होता रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस मामले की गम्भीरता को समझते हुए एलीफेंट रिजर्व पर पुनर्विचार के निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिए। अब जबकि स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की संस्तुति पर राज्य सरकार एलीफेंट रिजर्व के अस्तित्व को समाप्त करने जा रही है तो इसमें शामिल क्षेत्रों के विकास की उम्मीदें जगी है। जाहिर है, 5200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार को अनावश्यक फेर में नहीं उलझना पड़ेगा। आने वाले समय में एलीफेंट रिजर्व की आड़ में छोटे-बड़े डवलपमेंट प्रोजेक्ट नहीं अटकेंगे। उन्हें रफ्तार मिल पाएगी।
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