उत्तराखण्डराजनीति

राजेंद्र भंडारी के साथ हुई राजनीतिक ठगी, एक साल में दूसरा झटका, पहले खुद हारे, अब पत्नी भी पंचायत चुनाव में हारी

लोकसभा चुनाव में भाजपा ज्वाइन करने को मास्टर स्ट्रोक बताने वालों को तलाश रहे भंडारी, एक झटके में अर्श से फर्श पर पहुंची भंडारी दंपत्ति

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देहरादून। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी को एक साल के भीतर दूसरा झटका लगा है। लोकसभा चुनाव में जल्दबाजी में भाजपा ज्वाइन करने के बाद से ही उनके सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। भाजपा ज्वाइन करने के बाद विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में राजेंद्र भंडारी हार गए थे। इसके बाद अब एक साल बाद पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गई है। एक झटके में भंडारी दंपत्ति चमोली की सियासत के अर्श से फर्श पर पहुंच गए हैं। अब भंडारी दंपत्ति अपनी ज्वाइनिंग को मास्टर स्ट्रोक बताने वाले लोगों को तलाश रहे हैं। भंडारी दंपत्ति अब उस दिन को कोस रहे हैं, जिस दिन उन्होंने जल्दबाजी में बिना कपड़े दिल्ली जाकर भाजपा की सदस्यता ली थी।
राजेंद्र भंडारी को चमोली की राजनीति का किंग मेकर माना जाता था। पहले खुद चमोली जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे। फिर विधायक बने। खंडूडी सरकार में कैबिनेट मंत्री तक पहुंचे। पत्नी रजनी भंडारी को भी बाद में चमोली जिला पंचायत का अध्यक्ष तक पहुंचाया। दोबारा फिर खुद विधायक बने। एक के बाद एक सियासत की सफल सीढियां चढ़ते हुए राजेंद्र भंडारी चमोली की सियासत के केंद्र बिंदु में रहे। लोकसभा चुनाव 2024 में राजेंद्र भंडारी ने चमोली समेत गढ़वाल के जिलों में कांग्रेस के चुनाव की कमान भी संभाली। भाजपा को पानी पी पीकर कोसा। फिर एक दिन भंडारी बिना कपड़े बदले सीधे दिल्ली भाजपा मुख्यालय में नजर आए। 24 घंटे में ही भंडारी ने भाजपा की बजाय कांग्रेस को कोसते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस दिन के बाद से आगे का हर दिन भंडारी दंपत्ति के लिए किसी मुसीबत से कम न रहा। भंडारी चुनाव दर चुनाव हारते चले गए। पहले विधानसभा उपचुनाव में भंडारी अपने घर से ही हारते चले गए। कांग्रेस के लखपत बुटोला ने उन्हें बुरी तरह हराया। इस झटके से भंडारी उबरे भी न थे कि उनकी पत्नी रजनी भंडारी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटना पड़ा। कोर्ट कचहरी में उलझना पड़ा। अब जिला पंचायत अध्यक्ष चमोली रही पत्नी रजनी भंडारी के घर पर ही जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हारने से उनके समर्थक उनके भाजपा में ज्वाइनिंग के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। जिन लोगों के चढ़ावे में आकर भंडारी ने कांग्रेस को छोड़ भाजपा की सदस्यता ली, अब भंडारी समर्थक उन्हें पानी पी पीकर कोस रहे हैं।

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