राज्यसभा उपाध्यक्ष ने मानव रचना में सरोकार की पत्रकारिता पर पुस्तक का अनावरण किया

देहरादून। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ में “हरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्मः फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक का विमोचन किया। अपने मुख्य वक्तव्य में हरिवंश नारायण सिंह ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि पत्रकारिता शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरण जागरूकता, स्वास्थ्य अभियानों और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देकर इन लक्ष्यों को साकार करने में सहायक है।
उन्होंने कहा, “पत्रकारिता केवल घटनाओं की रिपोर्टिंग नहीं है, बल्कि यह चेतना निर्माण, वंचितों को आवाज़ देने और असमानताओं को दूर करने का माध्यम है। तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में मुझे ऐल्विन टॉफलर के शब्द याद आते हैंकृ21वीं सदी के निरक्षर वे नहीं होंगे जो पढ़-लिख नहीं सकते, बल्कि वे होंगे जो बदलाव के साथ स्वयं को ढाल नहीं सकते। आज के पत्रकारों को केवल कहानीकार नहीं, बल्कि तकनीक के साथ तालमेल बैठाने वाले दक्ष पेशेवर बनना होगा।” उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे चुनौतियों को अपनाएँ, अपने कौशल को निखारें और समाज में परिवर्तन लाने वाले अग्रदूत बनें। सभा को संबोधित करते हुए मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ के कुलपति प्रो. (डॉ.) संजय श्रीवास्तव ने हरिवंश नारायण सिंह के पत्रकारिता क्षेत्र में योगदान की सराहना की और कहा कि उनकी दूरदर्शी सोच ने एडवोकेसी पत्रकारिता को सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक सिद्ध किया है। डॉ. श्रीवास्तव ने मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की पहल का उल्लेख करते हुए बताया किकृ“मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों ने बढ़खल झील परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके माध्यम से सूख चुकी झील के जल स्तर को पुनर्जीवित किया गया। इसके अतिरिक्त हमने आसपास के दस गाँवों का संरक्षण लिया है ताकि क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके। इसके साथ ही समुदायों के उत्थान के लिए अनेक परियोजनाएँ और अभियान चलाए गए हैं।”