‘चमकने’ लगा ‘चम्पावत’ …

देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री और चम्पावत के विधायक पुस्कर सिंह धामी अपने कार्यकाल का लगभग डेढ़ वर्ष पूरा कर चुके हैं। इस बीच उनका अपना विधानसभा क्षेत्र चम्पावत विकास की नई राह पर चल पड़ा है। राज्य में लगातार दूसरी बार धामी सरकार बनने के बाद यहां योजनाओं और परियोजनाओं की खूब सौगात मिली है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां कई परियोजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं, जिनमें से अधिकांश को धरातल पर उतारने का काम शुरू हो चुका है तो कुछ पाइप लाइन में हैं। धामी ने ऐसा करके उन जन प्रतिनिधियों को झकझोरने का काम किया है, जो चुने तो जाते हैं, लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरते। मौजूदा समय में चम्पावत में तकरीबन 200 करोड़ की योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है।
राज्य में फरवरी 2022 में हुए विधानसभा के आम चुनाव में 70 में से 47 सीटें जीतकर भाजपा ने एक नया रिकॉर्ड तो बना लिया था लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से हार गए थे। इस हार के बावजूद पार्टी आलाकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए, उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी। धामी ने 23 मार्च को लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के अंदर अनिवार्य रूप से विधानसभा का सदस्य बनना था, इसलिए चंपावत विधानसभा का उपचुनाव उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर काफी महत्वपूर्ण हो गया था। चम्पावत उपचुनाव में उन्होंने कुल डाले गए मतों के 93 फीसदी वोट लेकर प्रदेश ही नहीं अपितु देश में एक रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार निर्मला गहतोड़ी को 55 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से शिकस्त देकर उनकी जमानत जब्त कर दी थी। अब तक उत्तराखण्ड के पांच मुख्यमंत्रियों (एनडी तिवारी-23220 वोट, बीसी खंडूरी-14091, विजय बहुगुणा-39966, हरीश रावत-20604 वोट) को उपचुनाव लड़ना पड़ा जिनमें से सर्वाधित मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड (55,025 वोट) पुष्कर सिंह धामी के नाम है।
अब मुख्यमंत्री धामी ने चम्पावत की जनता के भरोसे और उम्मीद पर खरा उतरने के पूरे प्रयास कर रहे हैं। उनकी सोच है कि चम्पावत को मॉडल जिला बनाया जाएगा। इसके लिए प्राथमिकताएं तय करते हुए विकास योजनाओं को बजट आवंटित किया जा रहा है। कोशिश है कि चम्पावत उत्तराखण्ड के लिए ही नहीं बल्कि सभी हिमालयी राज्यों के लिए एक आदर्श जिला बने। चंपावत के विकास के लिए किए जा रहे ‘इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स’ देश के सभी पर्वतीय राज्यों और जिलों के लिए गाईडलाईन का काम करेंगी। आगामी समय में चंपावत के अंतर्गत कई बड़े प्रोजेक्ट को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने की योजना है। मुख्यमंत्री ने अलग से चम्पावत के लिए ‘ऑनलाइन डैशबोर्ड’ भी शुरू किया है। यूकॉस्ट को इसके मॉनीटिरंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यूकोस्ट निरंतर प्रत्येक विभागों के साथ समन्वय कर विकास योजनाओं को सिलसिलेवार आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। प्रत्येक योजना का बाकायदा ‘डॉक्यूमेंटेशन’ भी किया जा रहा है।
दरअसल, चंपावत नगर प्राकृतिक सौंदर्य, स्वच्छ पर्यावरण एवं मंदिरों से आच्छादित है। धामी इन्हीं सब में संभावनाएं खोज कर पर्यटन मानचित्र में चमपावत को अहम स्थान दिलाना चाहते हैं। खासतौर पर कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है। चंपावत जिले में ‘साइंस सेंटर’ की स्थापना का रास्ता साफ हो चुका है। इसके साथ ही यहां संपूर्ण हिमालय राज्यों के लिए ‘हिमालय नॉलेज कॉरिडोर’ को भी विकसित किया जा रहा है। पिछले एक वर्ष में मुख्यमंत्री धामी 9 बार चम्पावत का दौरा कर चुके हैं। विकास कार्यों पर उनकी सीधी नजर है। वह जब भी चम्पावत जाते हैं, जनता से सीधा संवाद करते हैं।
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