ये पत्थरबाजी उत्तराखंड के युवाओं का मिजाज तो नहीं, भीड़ में बाहरी अराजक तत्वों के शामिल होने का अंदेशा, कई संदिग्धों पर निगाह

देहरादून। 22 साल के उत्तराखंड में कभी ऐसा कोई मौका नहीं आया, जब युवाओं का इस तरह का उग्र रूप किसी ने देखा हो। पत्थरबाजी तो दूर दूर तक उत्तराखंड के युवाओं के स्वभाव में नहीं है। वो भी उस मामले को लेकर, जिसमें सरकार उनकी मांग से पहले ही कार्रवाई कर रही है। ऐसे में सड़कों पर जिस तरह पत्थरबाजी की गई। सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया, उससे इस पूरे मामले में बाहरी अराजक तत्वों के शामिल होने का अंदेशा नजर आ रहा है। कई संदिग्ध भी नजर आ रहे हैं।
राजधानी के केंद्र बिंदु घंटाघर पर महज कुछ मिनट के भीतर हजारों युवाओं की भीड़ जुटना, यकायक युवाओं के हाथ में पत्थरों का आना पूरी परिस्थिति को संदेह के दायरे में ला रहा है। इस भीड़ में युवाओं को उकसाने और पत्थरबाजी करने वालों में संदिग्धों की विशेष भूमिका नजर आ रही है। जानकार भी इस घटना को सामान्य नहीं मान रहे हैं। क्योंकि उत्तराखंड के युवाओं की प्रवृत्ति कभी ऐसी नहीं रही। कई बार छात्र आंदोलन हुए। बीएड कालेज आंदोलन से लेकर फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन हुए, लेकिन कभी भी पत्थरबाजी जैसी घटना नहीं हुई। ऐसे में इस पत्थरबाजी की घटना में बाहरी लोगों की भूमिका बताई जा रही है। जिन्होंने राज्य के युवाओं की भीड़ में घुस कर माहौल खराब किया। एसएसपी देहरादून डीएस कुंवर ने भी साफ किया कि युवाओं की भीड़ में कुछ अराजक तत्व घुस आए थे। इन्होंने माहौल खराब किया। पत्थरबाजी की गई। दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया। कई पुलिस कर्मी, अफसरों को चोट लगी। संदिग्धों को चिन्हित किया जा रहा है।