राजनीति

गवर्नर हाउस का घेराव करने जा रहे किसानों को पुलिस ने रोका

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भाकियू ने किया राजभवन कूच, पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोका

देहरादून। दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों के आंदोलन को 7 महीने पूरे हो गये हैं। इस मौके पर आज भारतीय किसान यूनियन गुट की अध्यक्ष उषा तोमर के नेतृत्व में किसानों ने राजभवन कूच किया। पुलिस ने किसानों को हाथीबड़कला चैकी के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया।
पुलिस के रोके जाने से गुस्साए प्रदर्शनकारी किसान मौके पर ही धरने पर बैठ गये। जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लेते हुए पुलिस लाइन में भेज दिया। प्रदर्शन में शामिल किसान अनुज का कहना है कि अपनी मांगों को लेकर उन्होंने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक लिया। उन्होंने कहा सरकार लगातार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा केंद्र के तीन कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार किसानों की मांगों को अनसुना कर रही है।

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हाईवे के बीच में बैठकर दिया धरना

हरिद्वार। देहरादून कूच करने जा रहे भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसानों को पुलिस ने हरिद्वार में ही रोक दिया है। नाराज किसानों ने हाईवे के बीच में ही बैठकर धरना शुरू कर दिया। बाद में प्रशासन के अनुरोध पर किसानों ने धरना समाप्त किया और अपनी मांगों को लेकर एडीएम बीके मिश्रा को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।
केंद्र सरकार द्वारा बनाए 3 कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली में किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर, भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान आज देहरादून में गवर्नर हाउस के घेराव करने जा रहे थे। जिसे पुलिस ने कामयाब नहीं होने दिया और उन्हें हरिद्वार में ही रोक दिया दरअसल किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार ने जो 3 कृषि कानून बनाए हैं। उन्हें तत्काल वापस लिया जाए। हरिद्वार में जितने भी टोल प्लाजा है। वहां किसानों से कोई टोल टैक्स न लिया जाए. किसानों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक दिल्ली में किसान आंदोलन के साथ ही हरिद्वार के बहादराबाद टोल प्लाजा पर किसानों का धरना जारी रहेगा। वहीं, पुलिस द्वारा किसानों को रोकने जाने पर किसानों का कहना है कि उन्हें हरिद्वार में ही रोक लिया गया है। क्या हमारा अधिकार उत्तराखंड की राज्यपाल से मिलने का नहीं है। राज्यपाल को हमसे मिलकर हमारी समस्याएं सुननी चाहिए। वहीं, किसानों का कहना है कि जब तक किसानों के हक में फैसले नहीं लिए जाते तब तक उनका विरोध लगातार जारी रहेगा।

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