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चिकित्सकों की नियुक्ति के मामले में त्रिवेंद्र सरकार ने खींची लंबी लकीर

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देहरादून। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हमेशा से चुनौती रहा है लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई वाली सरकार ने पहली बार इस धारणा को बदलने का काम किया है। कोविड काल में आई चुनौतियों के बीच राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की ओवरहाॅलिंग कर इसे अंजाम तक पहुंचाने का काम किया। इसी का नतीजा है कि राज्य में आज चिकित्सकों की संख्या दो हजार के आंकड़े को पार कर गई है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के कुल 2735 पद सृजित हैं लेकिन राज्य में कभी भी शत-प्रतिशत चिकित्सकों की तैनाती तो दूर आधे चिकित्सकों तक की नियुक्तियां करने में सरकारें विफल रही हैं। वहीं, मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार ने इस धारणा को बदलने का काम किया है। आंकड़े खुद वर्तमान सूरतेहाल को बयां कर रहे हैं कि किस तरह त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में चिकित्सकों की तैनाती ने रिकार्ड स्तर को छुआ है। स्वीकृत पदों के सापेक्ष जहां कुल 1635 नियमित चिकित्सकों की नियुक्ति हो चुकी है तो 562 पदों को संविदा व बांड के जरिए भरने का काम त्रिवेंद्र सरकार ने किया है। जबकि खाली पड़े 763 पदों पर भर्ती के लिए राज्य चयन आयोग को अध्याचन भेजा गया है।

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