उत्तराखण्ड

जल संरक्षण के लिए आधुनिक और कारगर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएः एसीएस

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिये हैं कि जल संरक्षण और संवर्द्धन को जल आंदोलन के रूप में लिया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने शुक्रवार को सचिवालय में बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि जल संरक्षण के लिए आधुनिक और कारगर तकनीक के इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण एवं संचय के लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार किया जाए और इसके लिए जन सहयोग भी लिया जाए।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि नगर निकायों, प्राधिकरणों, पंचायतीराज और वन विभाग द्वारा जन सहभागिता से कन्टूर ट्रेंचेज, रिचार्ज पिट, चाल-खाल और चेक डैम बनाये जाए। महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों और जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वालों का इसमें सहयोग लिया जाए। जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिए राज्य और जनपद स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाए। वर्षा जल संचय की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। नगरीय क्षेत्रों भूमि का जल स्तर बढ़ाने के लिए सरकारी भवनों के रूफटॉप वाटर को प्रचलित माध्यमों से जमीन तक पहुंचाया जाए।
अपर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वर्षा जल संचय के साथ ही जल के दुरूपयोग को रोकने के लिए भी लोगों में जागरूकता लाई जाए। उन्होंने कहा कि वर्षाकाल में पेयजल लाईन के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में उनकी तत्काल मरम्मत की जाए। जनपदों में जल संचय के लिए चाल-खाल और अमृत सरोवर और नये चेक डैम बनाने की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। इसके लिए सभी विभाग समन्वय बनाकर कार्य करें।
बैठक में सचिव शैलेश बगोली, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी, अपर सचिव नितिन भदौरिया, अपर मुख्य कार्यकारी स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजुविनेशन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीना ग्रेवाल एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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