उत्तराखण्ड को बनाएंगे देश का बेस्ट पर्यावरण फ्रेंडली राज्यः विश्वास डावर

-सरकार और निकायों के मध्य बेहतर समन्वय से विकसित की जाएंगी और अधिक नागरिक सुविधाएं
-नगरीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की होगी स्वच्छता रैंकिंग
देहरादून। उत्तराखण्ड नगरीय पर्यावरण संरक्षण परिषद के अध्यक्ष विश्वास डावर ने कहा कि राज्य के नगरीय क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही स्वच्छता चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए ‘‘शहरी विकास विभाग’’ के नेतृत्व में ‘‘शहरी विकास निदेशालय’’ तथा ‘‘उत्तराखण्ड नगरीय पर्यावरण संरक्षण परिषद’’ द्वारा शानदार पहल की जा रही हंै। बढ़ता शहरीकरण आज की सच्चाई बन चुका है। ऐसे में नगरों के भीतर हो रहे अवस्थापना संबंधी समस्त विकास कार्य अक्सर कम पड़ जाते हैं।
हम जितनी सुविधाओं का विकास करते हैं, नगरीय आबादी उससे कहीं तेजी से बढ़ जाती है। यही हमारे लिए चुनौती है, जिसे हमने अवसर के तौर पर देखने का नजरिया विकसित किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वच्छता के बारे में आम नागरिकों का दृष्टिकोण एकदम पलट दिया है। कहा कि मुझे प्रसन्नता हो रही है कि उत्तराखण्ड राज्य में नगरीय स्वच्छता हेतु योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। राज्य द्वारा अपनी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की नीति प्रख्यापित की जा चुकी है। जिसके आधार पर नगरों के वेस्ट मैनेजमैंट हेतु योजनाबद्ध कार्य किए जा रहे हैं। राज्य के समस्त 91 निकायों के सापेक्ष 88 निकायों हेतु ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की डी0पी0आर0 तैयार की जा चुकी हैं। राज्य के 10 बड़े नगरोें में पूरे राज्य का कुल 60-70 प्रतिषत अपशिष्ट उत्पादित होता है। इसलिए बड़े नगरों में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधंन संबंधी आधारभूत सुविधाओं के विकास को शीष प्राथमिकता पर लिया जा रहा है। जिसके तहत क्लस्टर अप्रोच के तहत नगर निगम रूड़की में तकरीबन 500 मिट्रिकटन प्रतिदिन क्षमता वाला ‘‘वेस्ट-टू- इनर्जी’’ प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है। नगर निगम हरिद्वार में 10 मिट्रिकटन प्रतिदिन क्षमता वाला ‘‘प्लास्टिक-टू-फ्यूल’’ प्लांट प्रस्तावित किया गया है।
नगर निगम रूड़की में 50 मिट्रिकटन प्रतिदिन क्षमता वाला ‘‘जैविक अपषिश्ट से कम्प्रेस्ड बायो गैस’’ प्लांट प्रस्तावित किया गया है। लिक्विड वेस्ट को प्रबंधित करने हेतु राज्य द्वारा ‘‘सेप्टेज मैनेजमेंट प्रोटोकाॅल’’ बनाया गया है। जिसके तहत नगर स्तर पर नगरों के सीवर/सेप्टेज को प्रबंधित किए जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। नगरों में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन के साथ ही साथ तरल तथा वायु गुणवत्ता बरकरार रखने हेतु विषेश प्रयास किए जा रहे हैं। कोविड संक्रमण के कारण हम थोड़ा अवरुद्ध हो गए हैं, परंतु जैसे ही स्कूल/काॅलेज पुनः नियमित तौर पर खुलेंगे, हम अत्यधिक सघन तरीके से स्कूल/काॅलेजों के छात्र-छात्राओं तथा युवाओं की भागीदारी से जबर्दस्त जन-जागरूकता कार्य करेंगे। सार्वजनिक स्वच्छता को सभी नागरिकों के सहयोग से एक आंदोलन के तौर पर विकसित किया जाएगा। नगरीय क्षेत्रों में व्यावसायिक काम्पलेक्स, कार्यालय परिसरों, स्कूलों, होटलों तथा अस्पतालों की रैंकिंग, ‘ए-प्लस’, ‘ए‘, ‘बी-प्लस’, ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘डी’ श्रेणियों में की जाएगी। ‘ए-प्लस’, ‘ए‘ के संस्थानों को नगर निकायों द्वारा विभिन्न लाभों के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाएगा। ‘सी’ तथा ‘डी’ श्रेणियों में आने वाले संस्थानों को पहले चेतावनी दी जाएगी यदि उनके द्वारा संबंधित संस्थानों की श्रेणी में सुधार नहीं किया जाता है तो दण्डात्मक कर प्रणाली लागू करने की संस्तुति की जा सकती है।