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कुंभ के शाही स्नान के दौरान दिखा अखाड़ों का वैभव

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हरिद्वार। मेष संक्रांति पर कुंभ के शाही स्नान के दौरान अखाड़ों का वैभव दिखा। लाखों श्रद्धालुओं ने आस्घ्था की डुबकी लगाई। अखाड़ों का शाही काफिला अपने-अपने समय में स्नान को हर की पैड़ी घाट पहुंचे। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी और उसके सहयोगी अखाड़ों ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद अब जूना अखाड़ा भी शाही स्नान को पहुंचे। इस दौरान अखाड़ों का वैभव देखते ही बन रहा था। वहीं, ज्योतिष और शारदा पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने नीलधारा गंगा तट पर शाही स्नान किया।  
अखाड़ों के स्नान के दौरान हर की पैड़ी पर आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहा। उन्होंने अन्य घाटों पर स्नान किया। शाही स्नान में सभी 13 अखाड़ों ने भाग लिया। मेलाधिष्ठान के अनुसार स्नान सुबह साढ़े आठ बजे से शुरू हुआ, जो शाम साढ़े पांच बजे तक चला। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार कुंभ में मेष संक्रांति के अवसर पर तीसरे शाही स्नान का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है। मुख्यमंत्री ने कुंभ के सुरक्षित और सफल आयोजन के लिए साधु संतों, श्रद्धालुओं और व्यवस्था में जुटे  सुरक्षा बल के जवानों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों, मीडियाकर्मियों और मेला प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
      मुख्यमंत्री ने कहा कि शाही स्नान के लिए सुबह से शाम तक  संतों और श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। श्रद्धालुओं और संतों को कुंभ के दौरान कोई असुविधा न हो, इसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा कड़े इंतजाम किए गए हैं। भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई कोरोना की गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए राज्य सरकार ने तीनों शाही स्नान सफलतापूर्वक संपन्न करवाए हैं। संपूर्ण कुंभ के दौरान साधु-संतों के रहने और उनको अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। साधु-संत सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं से संतुष्ट और प्रसन्न हैं। मेले में कोविड को लेकर भी पुख्ता इंतजाम किए गए है। प्राप्त गाइडलाइन का पूरा पालन किया गया। किसी भी संत या श्रद्धालु के आंशिक रूप से बीमार होने पर उनके टेस्ट और उपचार की भी राज्य सरकार द्वारा उचित व्यवस्था की गई है।

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