उत्तराखण्ड

भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के उत्थान के लिए पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की भ्रमणशील जमात रवाना

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हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की भ्रमणशील जमात जन कल्याण एवं धर्म के प्रचार प्रसार हेतु देश के विभिन्न राज्यों के लिए रवाना हुई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने जमात के संत महापुरुषों को फूल माला पहनाकर उनका स्वागत करते हुए जमात को रवाना किया। इस दौरान श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि धर्म के प्रचार, प्रसार, संरक्षण, संवर्धन और उत्थान में अखाड़ों की अहम भूमिका है। कुंभ मेले, धार्मिक आयोजनों और विभिन्न सेवा प्रकल्पो के माध्यम से अखाड़े दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को प्रचारित प्रसारित करते हैं। और राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में संत महापुरुषों ने हमेशा ही अग्रणी भूमिका निभाई है। देशभर में स्वाध्याय की भावना जागृत हो धर्म के प्रति युवा पीढ़ी का योगदान निरंतर बढ़ता रहे। और पाश्चात्य संस्कृति भारतीय सभ्यता पर हावी ना हो यही जमात के भ्रमण का मुख्य उद्देश्य है। पश्चिमी सभ्यता हावी होने के कारण आज देश में विघटन की स्थिति पैदा हो गई है।
गुरुकुल पद्धति को एक बार पुनः बढ़ावा देकर केंद्र एवं राज्य सरकारों को भारतीय संस्कृति एवं धर्म के उत्थान के लिए कार्य करने चाहिए। धर्म का मार्ग व्यक्ति को सफल बनाता है। और सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है जो पूरे विश्व को एकता, भाईचार,े शांति एवं सद्भाव का संदेश देता है। भ्रमण शील जमात देश के विभिन्न स्थानो दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में धर्म का सकारात्मक संदेश प्रदान करेगी। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी प्राचीन काल से राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करके सनातन धर्म को सर्वाेच्च शिखर पर ले जाने का कार्य करता आ रहा है। और आगे भी करता रहेगा। देश में राम राज्य की स्थापना हो और भारत एक बार फिर विश्व गुरु बन कर उभरे यही संत समाज की भावना और कामना है। इस अवसर पर श्रीमंहत किशन गिरि, श्रीमंहत देव गिरि, श्रीमंहत अखिलेश भारती, श्रीमहंत महेश गिरि, श्रीमहंत रामेन्द्र पुरी, श्रीमंहत कमल पुरी, श्रीमंहत रविन्द्र गिरि, स्वामी सूर्यमोहन गिरि, श्रीमहंत सुभाष पुरी, स्वामी कृष्णा पुरी, स्वामी पुष्पेन्द्र पुरी, स्वामी विवेक भारती, स्वामी चन्द्रमोहन गिरि, स्वामी मनोज गिरि उपस्थिति रहे।

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