नगरी नैनीताल (Nainital) में स्मैक (smack) का खुला कारोबार चल रहा है. पिछले कई दिनों से शहर में चल रहे जहर के खेल में अब एक स्थानीय होटल कर्मचारी भी लिप्त पाया गया है. खुद को होटल का मैनेजर बता रहे गौरव पाठक और उसके साथी फरहान अली को पुलिस ने स्मैक के साथ गिरफ्तार किया है, जिसे वह बेचने के लिए ले जा रहे थे. पुलिस का कहना है कि इनसे पूछताछ के बाद नशे के कारोबार में लगी कुछ बड़ी मछलियों तक भी उसके हाथ पहुंच सकते हैं.
बड़े नशा तस्करों की तलाश
नैनीताल पुलिस को सूचना मिली थी कि शहर में कुछ लोग लगातार स्मैक बेच रहे हैं. इसके बाद पुलिस की एक टीम इनलोगों के पीछे लगी और इनको स्मैक साथ गिरफ्तार किया जा सका है. दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है.
पुलिस ने स्मैक पीने वाले 6 अन्य को भी हिरासत में लिया, जिनको काउंसलिंग के बाद छोड़ दिया गया है. शुरुआती पूछताछ से इन दोनों से स्मैक से जुड़े बड़े कारोबारियों के बारे में भी जानकारी लगी है, जिनकी तलाश शुरू कर दी गई है.
नैनीताल कोतवाल अशोक कुमार ने बताया कि इन लोगों ने पूछताछ में कई लोगों के नाम बताए हैं. इनसे मिले नंबरों की कॉल डिटेल निकालने के साथ ही उन पर नजर रखी जा रही है. अगर इनसे मिली सूचना सही मिली, तो जल्द ही बड़े स्मैक तस्करों को जेल भेजा जाएगा.
लॉकडाउन में नशे का कारोबार
दरअसल ये लोग लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं में लगे वाहनों में छिपकर हल्द्वानी और अन्य स्थानों से नैनीताल स्मैक ला रहे थे और इसे नैनीताल में ब्लैक में बेच रहे थे. कुछ लोगों का कहना है कि ये हल्द्वानी से जरूरी सेवा में लगे दूध, सब्ज़ी, राशन के वाहनों में आकर हनुमान गढ़ी से पहले उतर जाते हैं.
इसके बाद जंगलों से होते हुए नैनीताल स्मैक पहुंचा देते हैं. पुलिस ने बताया कि 150 की पुड़िया को लॉकडाउन में 700 से 900 रुपए के बीच बेचे जाने की सूचना मिली थी. इसके बाद सर्च अभियान तेज कर दिया गया था.
मिशन पहाड़
नैनीताल में पिछले कुछ समय से स्मैक कानून-व्यवस्था के लिए सिरदर्द बन गई है. पिछले साल एक स्मैक तस्कर को घर बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए दो युवाओं ने उसे गोली मार दी थी. इसके अलावा चौराहे पर स्मैक बेचने वालों ने पुलिस पर बंदूक तान दी थी. हालांकि पुलिस पर बंदूक तानने वाले अब भी खुलेआम बाजारों में घूम रहे हैं.
नशे के खिलाफ लड़ रहे कुछ जागरूक युवाओं का कहना है कि ये स्मैक तस्कर गांव के युवाओं को भी स्मैक सप्लाई कर रहे हैं और लगातार गांवों की तरफ जा रहे हैं. नशे के खिलाफ जंग लड़ रहे कैलाश अधिकारी का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को लोगों को नशे की गिरफ्त में आने से बचाना होगा नहीं तो गांव भी इस नशे की चपेट में आ जाएंगे.