देहरादून। प्रदेश की भाजपा सरकार के तकरीबन सवा तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्हें भान है कि शेष बचा पौने दो वर्ष का समय सरकार के लिए बेहद चुनौती भरा होगा। लिहाजा, वक्त की नजाकत को भांपते हुए त्रिवेन्द्र ने तेजी से गियर बदला है। सरकारी मशीनरी की ओवरहालिंग पर उनका फोकस है। लगता है सरकारी तंत्र को ‘ठीक’ करने और व्यवस्था को ‘पारदर्शी’ बनाने की उन्होंने ठान ली है। शुरुआत राज्य सचिवालय से की गई है।
18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चलेगी। उनके इन शब्दों को विपक्ष और जनता ने भ्रष्टाचार पर सरकार की कार्रवाई का आधार बना दिया। वित्तीय अनियमितता और विकास कार्यों में गुणवत्ता की कमी नजर आते ही समाज का जागरूक तबका जीरो टॉलरेंस का नारा उछालकर सरकार की घेराबंदी करने लगा जबकि सरकार शुरुआती बढ़त को बरकरार न रख सकी। एनएच-74 और छात्रवृत्ति घोटाले में त्रिवेन्द्र सरकार ने अरोपियों में कार्रवाई को लेकर शुरुआती दौर में तेजी दिखाई लेकिन वक्त के साथ जांच की ‘रफ्तार’ और ‘धार’ दोनों बदल गई। विकास को आधार मानें तो मूलभूत सुविधाओं से लेकर बड़ी परियोजनाओं तक कहीं भी कोई बड़ा बदलाव फिलहाल सामने नहीं आया है। सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता का दावा भी अब तक त्रथ्वेन्द्र सरकार की ताकत बनता नजर नहीं आता। इतना जरूर है कि भ्रष्टाचार को कोई बड़ा दाग अभी तक त्रिवेन्द्र सरकार के ऊपर नहीं लगा है। मुख्यमंत्री ने चतुर्थ तल पर दलालों की दखल पर अंकुश लगाया है, यह बात काफी हद तक सही है। हाल में मुख्यमंत्री के तेवरों में उपजी तल्खी को देखते हुए लगता है कि वह स्वयं भी अपनी सरकार की अब तक की परफार्मेंस को देखकर पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हैं। खासतौर पर सरकारी तंत्र में ‘बदलाव’ और व्यवस्था में ‘पारदर्शिता’ पर वह समय रहते काम करना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्हें अचानक गियर बदलना पड़ा। बुधवार को सचिवालय में नौकरशाहों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने दो टूक शब्दों में कहा कि सवा तीन साल में अभी तक अतक सरकार ने जो घोषणाएं की हैं, उन्हें जल्द पूरा करने के लिए सरकार और प्रशासन के स्तर पर कामकाज में तेजी लाई जाए। परियोजनाओं को निर्धारित समय में पूरा करवाया जाए। राज्य सचिवालय के अनुभागों में पत्रावलियों के निस्तारण में आवश्यक विलम्ब के लिये उत्तरदायी कार्मिक के विरूद्ध कठोर कार्यवाही किये जाए। अनुभागों में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक कार्यरत कार्मिकों को एक सप्ताह के अन्दर बदला जाए। राज्य सचिवालय की एक व्यवस्था को बदलते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि अनुभाग स्तर से पत्रावलियां निर्धारित प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत की जाए किन्तु वापसी में पत्रावली को उच्च स्तर से सीधे सेक्शन को सन्दर्भित कर दिया जाए। इससे समय की बचत तथा आदेशों के क्रियान्वयन में शीघ्रता होगी।
—-
मुश्किल है ग्रूजी,,मोदी लहर मेें जीत गए जीत गए। पर अब नहीं