उत्तराखण्डराजनीति
पार्टी के भीतर ही अलग-थलग पड़ गए त्रिवेन्द्र

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देहरादून। अवैध खनन को लेकर संसद में उठाए गए मुद्दे पर हरिद्वार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद महेन्द्र भट्ट समेत पार्टी के तीन सांसदों ने खनन के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए धामी सरकार की सराहना की है। सभी ने एक सुर में कहा है कि खनन के जरिए हुई अप्रत्याशित राजस्व वृद्धि से साबित होता है कि प्रदेश में अवैध खनन पर प्रभावी अंकुश लगा है। राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देश पर गैरकानूनी खनन में लिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई हुई है।
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। कई बार तो उनके बयानों से उन्हीं की पार्टी की प्रदेश सरकार और संगठन के सामने असहज स्थितियां उत्पन्न हो गईं। हाल ही में त्रिवेन्द्र ने संसद में राज्य के मैदानी जिलों में हो रहे खनन पर अंगुली उठाते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। जिस तरह से उन्होंने इस मुद्दे को उठाने के लिए संसद का प्लेटफार्म चुना उससे त्रिवेन्द्र की मंशा पर ही सवाल खड़े हो गए। मौजूदा समय में वह हरिद्वार के सांसद हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी त्रिवेन्द्र समेत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से अक्सर मिलते जुलते रहते हैं। त्रिवेन्द्र चाहते तो अपनी बात सीधे मुख्यमंत्री धामी के सामने रख सकते थे लेकिन उन्होंने इसके लिए संसद को ही चुना। संसद में त्रिवेन्द्र के बयान को सुनकर भाजपा के आम कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि प्रदेश नेतृत्व भी सकते में आ गया। इधर, खनन सचिव बृजेश कुमार संत ने जब खनन को लेकर मीडिया के सामने आंकड़ों सहित राज्य सरकार का पक्ष रखा तो त्रिवेन्द्र को यह नागवार गुजरा। दिल्ली में एक पत्रकार ने जब बृजेश कुमार संत के दावे पर त्रिवेन्द्र से प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने कहा कि “शेर कभी कुत्ते का शिकार नहीं करता”। देखते ही देखते उनका यह बयान जंगल में आग की तरह फैल गया। विपक्षी दलों के साथ ही समाज के हर वर्ग ने नौकरशाही पर दिए गए त्रिवेन्द्र के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश ने तो त्रिवेन्द्र के बयान को अहंकार से भरा ‘प्रेमचंदिया’ बयान कह डाला। अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद महेन्द्र भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल और अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा ने उत्तराखण्ड में खनन के माध्यम से राजस्व आय में आए उछाल पर प्रसन्नता व्यक्त की है। सांसदों का कहना है कि राजस्व बढ़ने से साबित होता है कि खनन कारोबार में पारदर्शिता आई है और अवैध धंधे पर लगाम लग रही है। इधर, आईएएस एसोसिएशन ने भी त्रिवेन्द्र के बयान को नौकरशाहों के आत्मसम्मान से जोड़ते हुए इशारों-इशारों में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी का सांसद और संघ पृष्ठभूमि का होने के बावजूद त्रिवेन्द्र ने ‘पार्टी धर्म’ को दरकिनार क्यों कर दिया ?